..मेरे स्यामला...आरजु नहीं कुछ भी ज्यादा मेरी...बस विनती इतनी है....कि आपकी सेवा करुँ दिलोजान से....मैंने कभी कोई दर की भिखारिन न बनी पर आज आपके दर पे साहिब जी मेरा दिल भीख माँग रहा है ..
कि मैं आपकी स्तुति कर पाऊँ..
येही तमन्नाएँ दिल खास.है....आँसुओं से चरण पखारुँ...भींगे पलों में एक आपके ही सिमरण हों..
मेरे श्यामला कि मैं तेरे दर की भिखारन...भीङ्गती आँखों की दुआएँ स्वीकार करें हे मेरे स्यामला....
मेरी प्यास हो आरजुओं में पूनम की चंद्रमा हो तुम....
ताज हो तुम....जन्नत हो..खुशनशीब हूँ मैं कि आप हमारे जिन्दगी में हो....स्यामला.. मेरे साहिब जी।।।।
√&darshan*
- By Suchita Sinha
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